जो क्रोध के मारे आपे से बाहर है वह मृत्यु तुल्य है, किन्तु जिसने क्रोध को त्याग दिया है, वह संत के सामान है ! मधुर वाणी हो तो सब वश में हो जाते है, वाणी कटु हो तो सब शत्रु बन जाते है ! सुखी होना चाहते हो तो सुख को बांटना सीखो, विद्या की तरह सुख भी बांटने से बढ़ता है !

दीपों का त्योहार दीपावली !

व्यस्त कार्यक्रम के वजह से मैं काफी दिनों बाद आपलोगों के समक्ष आ रहा हूँ | आज कुछ समय मिला तो सोचा क्यूँ नहीं दीपावली की विशेष महत्व पर चर्चा की जाय | अब तो नजदीक आ ही गई है बस दो दिन और उसके बाद दीपों का खुबसूरत त्यौहार दीपावली जो हमें धन-धान्य से परिपूर्ण करती है | सुख शांति के प्रतिक दीपावली मनाने के कई कारण है आइये आज चर्चा करते है |
आखिर क्यूँ मनाते है दीपावली ? क्या खास बात है दीपावली से सम्बंधित , जानने की कोशिस करते है ?

सर्वप्रथम ये त्यौहार धन की देवी लक्ष्मी जी के जन्म दिन के रूप में मनाया जाता है | कारण , समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक महीने के आमवस्या को ही लक्ष्मी जी का उदय हुआ था तो दीपावली मनाने का कारण यह भी है ऐसी मान्यता है |

भगवन विष्णु ने माता लक्ष्मी को राजा बाली की कैद से वामन अवतार लेकर आजाद करबाया था | इसलिए भी दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा की जाती है |


महाभारत के अनुसार पांडवों ने 12 साल का बनवास के बाद कार्तिक अमावस्या के दिन ही लौटे थे | इसलिए इस त्यौहार के दिन दीप जलाकर खुशियाँ मनाते है |

रामायण के अनुसार रावन का वध करके राम, सीता और लक्ष्मण इसी दिन अयोध्या लौटे थे और पुरे नगर में दीप जले थे | इसलिए दीपावली के त्यौहार को विजय उत्सव के रूप में मनाते है |


1577 में इसी दिन स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास किया गया था | 1619 में दीपावली के दिन ही सिखों के छठे गुरु हरगोविन्द को मुग़ल शासक जहांगीर ने अपनी कैद से रिहा किया था | अतः सिखों के लिए भी दीपावली बहुत ही महत्वपूर्ण है |

इस तरह से अनेकों कारण है जिसके वजह से दीपावली हम सब के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है |
दीपावली का दियाली की खुबसूरत लौ न केबल घर में पवित्रता का अहसास कराती है बल्कि घर की खूबसूरती में भी चार चाँद लगा देती है |

दीपों के त्यौहार दीपावली में जिस तरह से रंग विरंगे दियाली,मोमबतियां भी एक आवश्यक अंग बन गई है | खुबसूरत रंग, आकर की मोमबतियां जब जलेगी तो ऐसा प्रतीत होगा जैसे दिल और दिमाग भी इनसे रोशन हो रहा है |


एक बार फिर से आप सबको दीपावली का बहुत बहुत शुभकामना |

नवरात्र :- आत्मशुद्धि का त्योहार !

जय माता दी ! जय माता दी !जय माता दी !जय माता दी !

कल यानि 8 अक्तूबर से नवरात्र शुरू हो रहा है | वातावरण में आज से ही कल की तयारी दखी जा रही है | बाजार में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है | वैसे भी नवरात्र में हमारे आसपास के वातावरण भी पवित्र व भक्तिमय हो जाता है |

नवरात्र में भक्त जन व्रत की विधिविधान को लेकर बड़े ही उत्सुक एवं जिज्ञासु होते है | लेकिन आप वही विधान चुने, जिसका आप आसानी से निर्वाह कर सकते हों |

आजकल के माहौल में नवरात्र व्रत की ऐसी विधि चुनना आवश्यक है, जिससे आप दैनिक कार्य सुचारू रूप से कर सकें | व्रत आप पर बोझ न बने | व्रत के नाम पर स्वयं को पीड़ा या दुःख देना ठीक नहीं है | सही मायने में नवरात्र व्रत आपको देवी माँ के समीप लाने और उनकी कृपा, आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए है, कष्ट भोगने के लिए नहीं |

और एक बात जान ले, सिर्फ उपवास रखना ही सम्पूर्ण व्रत नहीं है | व्रत का मतलब होता है संयम | उपवास या फलाहार हमारी काया को शुद्ध करता है , उपवास में लिए गए संकल्प हमारे मन को निर्मल व पवित्र करते है | वहीँ देवी माँ के ध्यान तथा नाम मन्त्र जाप से मन पवित्र हो जाता है | तनमन की पवित्रता उपासना को सफल बनाती है |


दरअसल नवरात्र आत्म शुद्धि का महात्यौहार है | वर्तमान समय में चारो तरफ वातावरण और विचारों में प्रदुषण ही प्रदुषण है | ऐसी परिस्थिति में नवरात्र का महत्व और भी बढ़ जाता है | चुकी इस समय प्रकृति में एक प्रकार की विशिष्ट दिव्य ऊर्जा होती है, जिसको आत्मसात कर लेने पर व्यक्ति का काया कल्प हो जाता है | सच्चे मन व श्रद्धा भक्ति से की गई प्रार्थना देवी माँ तक अवश्य पहुँचती है और माँ अपने बच्चों को दुखी देखकर भला चुप कैसे रह सकती है |

माँ अपने सभी पुत्रों को एक सामान प्रेम करती है, लेकिन उसकी सबसे अधिक होती है जिसमे सद्गुण हों | इसलिए माँ भगवती को प्रसन्न करने के लिए दुर्गुणों को छोड़कर सद्गुणों को धारण करें |


वैसे भी जब भक्त स्वयं को शक्तिपुत्र मानकर भवानी की उपासना करेगा, तो वह पूजा मातृसेवा ही होगी | यह भी सच है की पुत्र तो कुपुत्र हो सकता है, किन्तु माता कुमाता नहीं होती ! अगर सच्चे मन से कोई भी व्यक्ति माँ को पुकारेगा , तो वह निश्चय ही दौड़ी चली आएँगी !

जयकारा शेरावाली दा ! बोल सच्चे दरबार की जय !

अनंत चतुर्दशी का व्रत सुखी जीवन के लिए !

आज अनंत चतुर्दशी है | भाद्र मास के शुक्लपक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है | आज के दिन शेषशायी भगवान विष्णु की पूजा अराधना करने का प्रावधान है | इस रूप में भगवान विष्णु जितना मोहक है उतना ही आम जीवन में प्रभाव रखता है | अपने चित्रों में देख रहे है विष्णु क्षीर सागर के बीचोबीच शेष नाग के ऊपर उसके फन की छाया में विश्राम करते दिखाई देता है और साथ में पैरों पर लक्ष्मी जी का हाथ है |

भगवान विष्णु के इस स्वरुप में एक सन्देश छिपा हुआ है , जो हमारे पारिवारिक और सामजिक जीवन को दिशा देता है |

मान्यता है की श्रृष्टि का सर्जक ब्रह्मा है तो विष्णु के पास श्रृष्टि के संचालन व पालन पोषण का दायित्व है और भगवान शिव संहारक शक्ति है | अब चुकी विष्णु श्रृष्टि का संचालन व पालन पोषण का दायित्व निभाते है , इसलिए गृहस्थों के भगवान कहना कदापि अनुचित न होगा |


भगवान विष्णु का यह मुद्रा और गृहस्थ की जिन्दगी में बहुत कुछ समानता है | जिस तरह विष्णु जी क्षीर सागर में रहता है,वैसे ही हम भाव सागर में रहते है | लक्ष्मी के पैर दबाने से उन्हें जो सुख की अनुभूति मिलता है , वहीँ शेषनाग के फन की छाया भी उनके ऊपर है | गृहस्थ जीवन भी ठीक इसी प्रकार का होता, सुख और दुःख से परिपूर्ण | शेषनाग के फन उनकी दायित्व की ओर चिन्हित करते है |

इतनी सारी जिम्मेदारी के वाबजूद विष्णु का मुख मंडल हमेशा मुस्कुराता हुआ नजर आता है | अर्थात हमारे लिए यह शिक्षा देने वाला सन्देश है की परिस्थिति चाहे अनुकूल हो या प्रतिकूल हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए और हमें हमेशा मुसुकुराते रहना चाहिए | हमारे मन में शांति होनी चाहिए और व्यव्हार से परिवार में सुखद प्रेम की बरसात हो |


लक्ष्मी के पैरों की तरफ बैठना भी यह सन्देश देता है की जो अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कुशलता से करता है, लक्ष्मी उसका आदर करती है तथा गृहस्थ को कर्म को पहला स्थान देना चाहिए और लक्ष्मी यानी की धन-सम्पति को आखिरी |

स्वस्थ जीवन के लिए विचार शुभ रखें !










ॐ नमः शिवाय :-

भद्रं कर्णेभिः श्रुणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्य जत्राः |
स्थिरैरंगैरस्तुष्टुवाँ सस्त्नूभिव्यंशे महिदेव हितं यदायुह ||
- ऋग्वेद

हम कानो से शुभ ही सुनें और नेत्रों से भि शुभ ही देखें | हमारे सुदृढ़ अंगो से हे प्रभो ! आपकी स्तुति करते हुए शरीर मर्यादा के अनुकूल देव हितकारी एवं कल्याणकारी आयु को भली भाँती प्राप्त हों |

तच्चक्षुर्देवहितं पुरस्ताच्छुक्र्मुच्चरत | पश्येम शरदः शतं जीवेम शरदः शतः श्रुणुयाम
शरदः शतं प्रब्रवाम शरदः शतमदीनाह स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात
- यजुर्वेद

सबको देखने वाले और विद्वानों का कल्याण करने वाले और विद्वानों का कल्याण करने वाले, अनादिकाल से विद्यमान इश्वर की कृपा से हम सौ वर्ष तक देखें, सौ वर्ष तक सुनते रह सकें ,सौ वर्ष तक बोलते रह सकें , सौ वर्ष तक स्व्तन्त्र्तापुर्वक रह सकें तथा सौ वर्ष से भि अधिक समय तक यह सब करते रह सकें |

अभिदर्गात्राणि शुद्ध्यन्ति मनः सत्येन शुद्ध्यति |
विद्यातपोभ्यां भूतात्मा बुद्धिर्ज्ञानेन शुद्ध्यति ||
- मनु स्मृति

जल से शरीर शुद्ध होता है, सत्य से मन शुद्ध होता है, विद्या और तप से आत्मा शुद्ध होती है और बुद्धि ज्ञान से शुद्ध होती है |

दुर्जनेन समं सख्य वैरंचापी न कास्येत |
उष्णो दहति चाँगारह शितः कृष्णायते करम ||
- हितोपदेश

दुष्ट प्रवृति के मनुष्य के साथ मित्रता या शत्रुता, कुछ भी नहीं करना चाहिए क्योंकि दुष्ट व्यक्ति दोनों स्थितियों में अनिष्ट करता है जैसे कोयला जलता हुआ हो तो स्पर्श से हाथ जला देता है और ठंढा हो तो हाथ काले कर देता है |

धन आता है खर्च हो जाता है जबकि नैतिकता आती है और बढती जाती है | यदि आप नैतिक और सात्विक शिक्षा प्राप्त करते है और उस पर अमल करते है तो आप दूसरों के लिए एक आदर्श और उदाहरण सिद्ध होते है, साथ ही उतरदायित्व स्वीकार करने में सक्षम हो जाते है | हमेशा अपना मन सीधा और साफ़ रख कर श्रेष्ठ आचरण करने में इश्वर की कृपा उपलब्ध हो जाती है | यह संसार दुखों से भरा हुआ है और शरीर बीमारियों से | हमारा जीवन उपद्रवों से भरा हुआ है और मन विनाशकारी विचारों से | शांति और सुख से पूर्ण जीवन जीने के लिए हमें सभी बुरी बातों को छोड़ना होगा, अच्छे मार्ग पर चलना होगा | अन्य कोई उपाय नहीं है |
- साईं अवतार

सब मनुष्यों को सामाजिक सर्व हितकारी नियम पालन में परतंत्र रहना चाहिए और प्रत्येक हितकारी नियम में सब स्वतंत्र रहें | - महर्षि दयानंद सरस्वती

देवों में प्रथम पूजनीय गणेश जी |



गजाननं भुत्गानादीसेवितं कपितजम्बूफल्चारुभक्ष्न्म |
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम ||



कोई भी पूजा अनुष्ठान के पहले हम भगवान् गणेश जी का ध्यान करते है | शादी-विवाह या अन्य कोई भी आयोजनों की सफलता के लिए उन्हें सर्वप्रथम पूजा, अर्चना करने का विधान है | क्यूंकि गणपति हमारे सर्वप्रथम पूज्य है |

गणेश चतुर्थी के अवसर पर विघ्नेश्वर गणेश जी का पूजा का प्रावधान है | लेकिन गणेश जी पूजा को नहीं बल्कि अपने भक्तों की आचरण को दृष्टिगत रखते है |

अतः गणेश भक्त होने का असल मतलब है की अपने आचरण में पवित्रता रखें | वह समाज और परिवार का आदर करता हो | किसी भी प्रकार का नशा व तामसिक पदार्थ का सेवन न करता हो | अपने कर्तव्य पथ पर सच्चाई के साथ चलता हो, कभी झूठ न बोले |

मान्यता यह है की इस दिन चन्द्रमा को नहीं देखना चाहिए |एक पौराणिक कथा है की एक बार चन्द्रमा ने गणेश जी का गजमुख व लम्बोदर रूप का मजाक उड़ा दिया | चंद्रमा को अपने रूप का अभिमान और निरादर करने की प्रवृति जैसी बुराइयां देखकर गणेश जी ने उन्हें ज्ञान का पाठ पढ़ने के लिए उसे शाप दे दिया की जो भी तुम्हे देखेगा, उस पर कोई कलंक लगेगा |


चंद्रमा को अपने भूल का पश्चाताप हुआ और तुरंत गणेश जी से क्षमा याचना कर लिया , गणेश जी प्रसन्न हो गए और उन्होंने भद्रपद की शुक्ल चतुर्थी को ही इस शाप का प्रभाव रहने दिया, बाकि दिन के लिए चन्द्रमा को मुक्त कर दिया |

अद्धभुत चमत्कार- साक्षात् दर्शन करें बाबा भोलेनाथ,पार्वती संग गणेश जी व काली जी-2


ॐ नमः शिवाय :-
एक बार पुनः मैं अपने गाँव की उस पावन भूमि का दर्शन करवाने के लिए ले जा रहा हूँ जहाँ साक्षात् भोलेनाथ सपरिवार अवतार लिए है | चमत्कारी घटना कुछ साल पुराणी है जिसके बारे में पहले ही चर्चा कर चूका हूँ | अब जब इस प्रकार भोलेनाथ का गाँव की किसी धरती पर अवतरित होना सबके लिए अद्धभुत एहसास था | कुछ लोग श्रधा के नाम पर आधी अधूरी मन से जाते और उनके बारे में व्यंग्य कर अपने घर को चले जाते थे | पर गाँव के ज्यादातर लोग इसे भगवन भोलेनाथ का अद्धभुत चमत्कार ही मानते है |

अब जो लोग भरोसा नहीं करते थे और इस चमत्कार को पचा नहीं पा रहे थे | अनाप सनाप बातें करते थे की ये कुछ भी नहीं है बस कुछ लोगों की दिमागी उपज है सिर्फ धन कमाने के लिए | मतलब वो उनकी आलोचना करते थे | उनके साथ बड़ा ही अजीब सा घटना घटित हो रहा था |

इनमे से कुछ लोग तो पागलों सी हरकते करने लगे थे और कुछ को रात को नाग नागिन उनके बिस्तर पर डंसने जैसे स्वप्न देखकर वो जोर जोर से चिल्लाने लगते थे की बचाओ बचाओ सांप डांस रहा है पर ऐसा कुछ भी नहीं होता था ये मात्र उनको एहसास दिलाने के लिए ऐसा भगवन भोलेनाथ की माया होता था |बाद में जब लोग उनके स्थान पर अपनी गलती के लिए क्षमा याचना करते थे, फिर कुछ ही दिनों में वो पागल भी ठीक नजर आ रहे थे और रात को बिस्तर में सांप का नजर आना बंद हो जाता था |

इस तरह से भगवन भोलेनाथ अपने भक्तो को सही राह पर भी ले आये है और और वो लोग जो ज्यादा आलोचक थे आज के दिन सुबह दोपहर शाम पूजा व अर्चना में लगे हुए नजर आते है | अर्थात उनको भोलेनाथ का प्रसाद मिल गया और वो सपरिवार पहले से सुखी और संतुष्ट नजर आते है |


इतना ही नहीं जब इसका प्रचार प्रसार दूर दूर तक होने लगी | इसके बाद हमारे गाँव में यु.एस.ए. (U.S.A ) पुरातत्व बिभाग के प्रमुख उस स्थान पर आये और जांच किया | बड़े बड़े विद्वान ज्योतिष शास्त्र के जाने माने आचार्य आये और वहां का दृश्य देखकर वो भी श्रद्धा से नमन किया और उन्होंने अपने शब्दों में कहा कि:-

यह घटना इस धरती का वास्तव में एक अलौकिक चमत्कार है और गाँव का नाम जो मधेपुर था उनको ज्योतिष विद्वान् ने बदल कर श्री श्री 108 बाबा मद्धेश्वर नाथ अजित धाम रख दिया |

सर्वत्र ईश्वर की शक्ति है

ॐ नमः शिवाय:-
किसी वास्तु को देखने पर उस वास्तु को बनाने वाले की तरफ दृष्टि जाना बुद्धिमानी है | कुम्हार के बिना घड़ा, चित्रकार के बिना चित्र नहीं बनता | इसी तरह यह जो संसार है दीखता है , इसे बनाने वाला भी कोई है |

अनेक ऐसी चीजें है जो हमें दिखाई नहीं देती, किन्तु उनका अस्तित्व अवश्य अनुभव होता है | इसीलिए यह आवश्यक नहीं है की जो हमें दिखाई दे, उसी को माना जाये | जैसे बिज से वृक्ष बनता है तो बिज में शक्ति कहाँ से आयी ? ईश्वर नहीं है, ऐसा कहना मुर्खता की बात है |

ईश्वर नहीं है तो क्या आप सबकुछ जानते है ? बोले तो विचारपूर्वक बोलना चाहिए | पुत्र-पिता की परम्परा को देखें तो आखिर पिता कौन है ? सबसे आखिर चीज भगवान् है |

संसार को देखने से संसार के रचयिता का ज्ञान होता है | उस विलक्षण रचयिता की प्राप्ति के बिना मनुष्य जीवन सफल नहीं होता | भगवन परिश्रम, उद्योग से नहीं मिलते, प्रत्युक्त भीतर की असली लालसा से मिलता है | अतः हम सब में ईश्वरीय अंश है और उसी अंश से इस धरा पर विचरण कर रहे है |

अद्धभुत चमत्कार- साक्षात् दर्शन करें बाबा भोलेनाथ,पार्वती संग गणेश जी व काली जी-1


ॐ नमः शिवाय :- एक बार पुनः आपको अपने साथ अपने गाँव के पावन धरती पर ले जाते है जहाँ साक्षात् शिव सपरिवार अद्धभुत रूप में अवतरित हुए है | जैसा की मैं पहले घटना के बारे में बता चूका हूँ इसके आगे जो हुआ उसके बारे में अब जानकारी आपसे बांटना चाहेंगे |

हलकी वारिस हो रही थी गाँव के लोग उस नाग डीह पर एकत्रित हुए और किसी को भी बिश्वास नहीं हो रहा था की आखिर एक के बाद एक यह क्या हो रहा है ? दरअसल जब एक विशाल कलश मिला ठीक उसी समय में उसके सामने एक और विशाल कलश मिला | जब उसकी ओर जाने लगे तो वो औरत फिर बोल पड़ी - मैं साक्षात् भगवती हूँ , मेरी बात मान और इसकी खुदाई मत कर , मैं अपने परिवार के साथ यहाँ रह रही हूँ --

परन्तु गाँव के लोग उनकी बातों को अनसुना कर दी और खुदाई जारी रखी | माँ भगवती नाराज हो गई और बोली अगर तुम गाँव के सारे लोग एक साथ मिलकर भी इस कलश को हिला सको तो मैं मान जाऊं | इस तरह से कई लोग मिलकर कोशिस किया परन्तु कलश बिलकुल पाने स्थान से टस-से मस नहीं हो सका | ठीक थोड़ी ही देर में उसी घड़ा ( कलश ) से एक चमत्कार हुआ माता काली के रूप में धातु की बनी मूर्ति निकली |


इस तरह से भगवती माता की आपर शक्ति को सभी श्रद्धालु ने अपनी आँखों के सामने देखकर अविभूत हो गए और सब ने जयकारा लगाने लगे " माँ भगवती की जय " | उनकी अलौकिक शक्ति और चमत्कार को लोगों ने श्रधा से नमन किया |


परन्तु गाँव के कुछ लोगों ने जो घटना उपरांत आये थे और आँखों से कलश उठाने वाला दृश्य नहीं देख पाए थे , वह भक्त जन कहने लगे की अगर आप सचमुच में भगवती महामाया है और आप अपने परिवार के साथ यहाँ इस स्थान पर विराजमान है तो आप साक्षात् प्रकट होकर दिखाइये | भक्तों पुकार को माता ने नहीं ठुकड़ा सकी और अंधविश्वास को दूर करने के लिए 23 अगस्त 2007 दिन गुरुबार के सुबह भगवान् भोलेनाथ , माता पारवती एवं पुत्र श्री गणेश जी तीनो देब्ताओं एक साथ एक ही प्रतिमा में प्रकट हुए एवं माँ काली जी एक अलग प्रतिमा में प्रकट हुई |

इस तरह से एक साथ अनेक देवी देवताओं को चमत्कारी ढंग एक साथ प्रकट होने की खबर जंगल में आग की तरह फ़ैल गई | चारों दिशाओं से हजारों-हजारों श्रधालुओं का उस स्थान पर एकत्रित होना शुरू हुआ और वारिस के मौसम में भी लोगों की भीड़ लगातार बढती गई |


इस तरह की सुचना प्रशासन को भी मिली | सुचना मिलते ही कलुआही थाना प्रभारी अपने सिपाहियों के साथ उस स्थान पर आये जहाँ पर भगवान भोलेनाथ साथ अवतरित हुए थे |

थाना प्रभारी ने अपने सिपाही को आदेश दिया जाओ और भगवान भोले नाथ का मूर्ति को उखाड़ कर लाओ |जैसे ही मूर्ति को सिपाही ने छूने का प्रयास किया- ठीक उसी समय सिपाही मूर्छित हो गया | कुछ देर के पश्चात् बहुत सारी अनुनय विनय के बाद सिपाही को होश आया | इस तरह से पुलिस प्रशासन का अहंकार को दूर किया |


आगे और भी बहुत कुछ है जो अगले अंश में लेकर आपके साथ उपस्थित होंगे ,तब तक के लिए "हर हर महादेव , ॐ नमः शिवाय )

अतः हम सबके उपर इश्वर की कृपा बनी रहे , इसके लिए आवश्यक है की हम स्वयं भी ऐसा ही व्यव्हार करें जिससे इश्वर प्रसन्न हो और हमें सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति हो ताकि दुःख से मुक्ति मिले | इसका एक मात्र उपाय है पूजा | अतः हमें अपने अराध्य देव को प्रसन्न करने के लिए पूजा , अर्चना करनी चाहिए |



अद्धभुत चमत्कार- साक्षात् दर्शन करें बाबा भोलेनाथ,पार्वती संग गणेश जी व काली जी

ॐ नमः शिवाय -आज हम अपने साथ आपको अपने पैत्रिक गाँव की सैर कराना चाहेंगे | मैं विहार के मधुबनी जिला में एक छोटा सा गाँव मधेपुर के निवासी हूँ |

यह मिथिलांचल में है जो विदेही माता सीता के नाम से प्रसिद्द है | क्यूंकि इन्ही पावन धरती पर जनकनन्दनी माता सीता जी अवतरित हुई थी | ऐसे ही कई चमत्कार हमारे इस धरती पर हो चुके है |
आज फिर से हम एक अद्धभुत चमत्कार की बात करेंगे जो हमारे गाँव में कुछ साल पहले यानि की 20 अगस्त 2007 दिन सोमबार दोपहर के करीब 1 बजे गाँव के दक्षिण दिशा में घटित हुई |

थोड़ी से जानकारी आपको अपने गाँव के दक्षिण दिशा के बारे में बताते है - दरअसल वहां एक स्थान है जो नाग डीह के रूप जाना जाता है | कई लोगों ने वहां पर आते जाते नाग और नागिन के जोड़े को एक साथ देखा है | परन्तु कभी भी सर्प ने गाँव के लोगों को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया |

अब हम आपको घटना के करीब ले जाते है- सोमबार का दिन था , हर रोज के तरह गाँव में समान्य हलचल , किसान अपने अपने काम को सुबह सवेरे खेतों की जुताई वगैर करके अपने अपने घर जा चुके थे | करीब 1 बजे की घटना है, जब खेतो में इक्के-दुक्के लोग होते है |

अब जहाँ पर नाग डीह हुआ करता था वहां भी किसान ने अपने खेत की जुताई करके जा चुके थे , अचानक उस स्थान से भयंकर हुंकार भरी आवाज आने लगी | पहले तो लोगों को यह समझ नहीं आया की आखिर ये आवाज कहाँ से आ रही है | लेकिन एक छोटा सा बालक जिसका जाम है अजित , वहीँ पर कीचड़ में मछली पकड़ने के लिए खेतों के इर्द-गिर्द चक्कर लगा रहे थे |

घटना के कुछ देर पहले भी वहां घास लेकर जा रही ग्रामीण महिला ने नाग और नागिन के जोड़े को एक साथ विचरण करते देखी थी | हुँकार सुनकर पहले तो बच्चे ने भागने का प्रयत्न किया परन्तु वो किसी भंवर जैसे बनी एक गड्ढे में फंस गया | जहाँ से बहुत बड़ी मात्रा में पानी का फब्बारा निकल रहा था और वो जमीं के अन्दर जाने लगा था |

बालक अजित का उम्र मात्र आठ साल का था और बड़ी तेजी के साथ उस भंवर के अन्दर समता जा रहा था | बच्चे अपनी जान बचाने के लिए जोर-जोर से चिल्ला रहा था | यह समाचार गाँव में चौ तरफ़ा जंगल की आग के तरह फ़ैल गई और सबके सब ग्रामीण उस स्थान पर एकत्रित हो गया |


ठीक उसी समय एक औरत अपने जानवर के चारा लेकर आ रही थी | उस दृश्य को देखकर वो बोलने लगी - अरे जाने दे इसे , कुछ नहीं होगा थोड़ी देर में वापस आ जायेगा | पर ग्रामीण लोग ने अनसुना करके पहले जल्दी से बालक को ऊपर खीच लिया | फिर सोचा ये हुँकार भरी आवाज का क्या करें ? जिससे ग्रामीण बहुत ज्यादा डरा, सहमा सा महसूस कर रहे थे |

कुछ लोग फाबरा व कुदाल लेकर उस जगह की खुदाई करने लगा | यह देखकर फिर वहीँ औरत बोल पड़ी - मत कर खुदाई, कुछ देर बाद ये आवाज भी बंद हो जाएगी और कुछ चमत्कार भी होगी घड़े के रूप में , छोड़ दे ये सब के सब मात्र दो घंटे के अन्दर हो जायेगा |

परन्तु ग्रामीण ने फाबरा व कुदाल खुदाई चालू किया तो पता चला एक बड़ा सा घड़ा है और उसी में से गंगा जल के स्वरुप निर्मल जल का फब्बारा निकल रहा था | और वो जैसे ही वो घड़ा लोगों के सामने दिखने लगे तो वो गर्जना जो थी बिलकुल शांत हो गई |इस तरह से बालक अजित के जान बख्श देने के लिए लोगों ने बाबा भोले नाथ का जय जयकार किया |
ऐसा अद्धभुत चमत्कार हमने पहली बार सुना और देखा था | अद्धभुत मुर्तिया जो अपने साथ त्रिशूल,बाबा भोलेनाथ,माता पार्वती के संग गणेश जी और एक मूर्ति अलग से मिली जो की माता काली की है |


इस तरह से हुआ अद्धभुत चमत्कार | और भी आगे है जिसके बारे में आगे चर्चा करेंगे ------------------------ तो इन्तेजार कीजियेगा अगले भाग का जो जल्द ही आपके समक्ष लायेंगे और साक्षात दर्शन करायेंगे भगवान् भोलेनाथ और उनके परिवार से |